Saturday 16 July 2011

अब काले में दाल है

पहले था दाल में काला, अब काले में दाल है !
फ़िर भी दुनियां चल रही है मुझे यही मलाल है !

Monday 4 July 2011

ज़माना

समाज में तीन तरह के लोग होते हैं- ब्यवस्था के साथ चलने वाले, ब्यवस्था से हट कर चलने वाले, ब्यवस्था के विरुद्ध चलने वाले ! मैं चौथी किस्म का आदमी हूं, रहता ज़माने मै हूं पर ज़माने को बदलने की चेष्ठा रखता हूं ! क्योंकि :